कोई हिन्दू हो या मूसलमां,
कोई हिन्दू हो या मूसलमां,
इबादत सब की है अच्छी ।
बशर्ते दिल हो पाकीज़ा,
मुहब्बत सच्ची हो रब से ।
-सतीश सृजन
लखनऊ
कोई हिन्दू हो या मूसलमां,
इबादत सब की है अच्छी ।
बशर्ते दिल हो पाकीज़ा,
मुहब्बत सच्ची हो रब से ।
-सतीश सृजन
लखनऊ