कोई गैर न मानिए ,रखिए सम्यक ज्ञान (कुंडलिया)
कोई गैर न मानिए ,रखिए सम्यक ज्ञान (कुंडलिया)
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कोई गैर न मानिए ,रखिए सम्यक ज्ञान
जानें सबको आत्मवत ,ज्ञानी की पहचान
ज्ञानी की पहचान ,चित्त को बड़ा बनाओ
वसुधा एक कुटुंब ,भाव उल्लास जगाओ
कहते रवि कविराय ,मनुजता रहे न सोई
हों उदार सब लोग , पराया रहे न कोई
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वसुधैव कुटुंबकम् = धरती एक परिवार
उल्लास = प्रसन्नता
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451