कैसी कहानी केसा अफसाना
*** कैसी कहानी कैसा अफसाना ***
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तेरे बिन मेरा सूना हो गया अंगना
शहीद फौजी की भार्या कहे सुनो सजना
बिखर गया है दुल्हन की मांग का सिंदूर
उजड़ा बसा बसाया खुशहाल आशियाना
छीना है बच्चों के सिरों से छत का साया
कहाँ ढूँढेंगे पिता रूपी भरा खजाना
बूढ़ी माँ की अंधी आँखों का उजियारा
लाचार पिता जी के बुढ़ापे का ठिकाना
टूट गए हैं सपनें ,बिखर गए हैं अरमान
शमां से दूर हो गया पतंगा परवाना
तिरंगे से लिपट कर घर मौन लौट आए
सदियों तक शहादत याद करेगा जमाना
सूनी अब दीवाली , बदरंग हुई होली
यह कैसी है कहानी ,कैसा है अफसाना
सुखविन्द्र कैसे मोल चुकाएगा तुम्हारा
जब तलक जान रहूंगा तुम्हारा दीवाना
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)