कैसा इत्तेफाक
आजकल के नंदलाल
बेरा नहीं किस भांति/
गडती नाल,
थोथे बजावे गाल,
खाणनै चाहिए माल़,
आँखया मह नहीं लाज.
औरां कै बाँधे ताज,
बाहण बेटी की शर्म नहीं,
टूट लिया समाज.
आजकल के नंदलाल
बेरा नहीं किस भांति/
गडती नाल,
थोथे बजावे गाल,
खाणनै चाहिए माल़,
आँखया मह नहीं लाज.
औरां कै बाँधे ताज,
बाहण बेटी की शर्म नहीं,
टूट लिया समाज.