कृत संकल्प
महान राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की ४४ वीं पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन वन्दन।
मेरे श्रद्धांजलि शब्द रूपी प्रसून अर्पित हैं—
?कृत संकल्प ?
जो सीमा पर प्रहरी बनकर
खड़े जैसे सुदृढ़ प्राचीर
शत्रु के षडयंत्र वार का
क्यों निशाना बनें वो वीर
क्यों हम झुकें अब
अब क्यों रुकें हम
तुझे मिटा कर देंगे ठंडा
फहरा देंगे तिरंगा झंडा
वह ढोंगी झूठा पाखंडी बेसब्र
क्या धैर्य का हमने लिया है ठेका ?
अब देखे वह रौद्र रूप हमारा
जो अब तक उसने न देखा
ऐ अधम सुन ले चेतावनी
अब आ गयी है वह घड़ी
रणबांकुरों के शौर्य बलिदान की
तू चुकाएगा अब कीमत बड़ी
एक-एक शहीद के प्राणोत्सर्ग
के बदले लेंगे सौ का हिसाब
ईंट के बदले अब पत्थर से
देंगे दुश्मन को हम जवाब।
विश्व मानचित्र पर ढूंढे न मिलेगा
शत्रु देश का नामो निशान
देश का बच्चा बच्चा शपथ ले
चुन चुन लेंगे शत्रु के प्राण
फिर न कभी किसी लाल को
न करना होगा सीमा संत्राण।
रंजना माथुर
जयपुर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना