Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Apr 2020 · 2 min read

*** ” विवशता की दहलीज पर , कुसुम कुमारी….!!! ” ***

*** असीम रौनक , नत नयन ,
रेशम-सी बाल , बिखरी हुई ;
आँखों में अश्कों की अविरल धारा बह रही ।

बैठी बे-पनाह ओ , जग से करती फरियाद ;
अरमान मिटा अपने जिंदगी की ,
आशाओं के दीप टीम-टीम जला रही ।।

आज-कल और अभी क्या……? ,
हर दिन सुबह-शाम , अंधेरों में तब्दील हो रही ।।।

*** नीम की छाया में , बैठी बे-पनाह ,
बचपन की यादें जगा रही ,
शीला पर पैर फैला , सुशील-नादानी ,
सपनों में राज-महल सजा रही ।

शीतल मंद समीर बहती ,
कभी पल्लू उड़ा रही और
चंचल मन को गुदगुदा रही ;
अरमानी उपज के सपने संग ,
चंद घड़ी में ताजमहल दृश्य तालाश रही ।।

*** पर……..! ,
सपना क्या अपना होता है…? ,
फिर….!! वही असीम-अदृश्य ,
बंजर-भूखंड की परिदृश्य की चूभन ,
और आँखों में अविरल अश्रु बह
मन में असहनीय कसक कर जाती ।

थम जाती कभी , ओ मन की उद्गार ,
विरहणी-सी हो जाती , अबोध मन की विचार ;
कसक दर्द की , चुभ सीने में और बे-चैन कर जाती ।।

क्षण-क्षण में आती याद ,
ओ दादा जी की सीखें :
” मुनिया जग से क्या नाता-रिस्ता ,
कोई न होता कभी सहारा । ”
” जब मुट्ठी में हो , दो कौड़ी- आना दो आना ;
जब आये रूप-यौवन की नजारा ,
सब कहते हैं , मैं तेरा सहारा ।। ”

” हवायें क्या कभी रुकी है ,
वक्त क्या कभी झुकी है । ”
” कर्म तेरा भाग्य-विधाता ,
दो मुट्ठी , दो पांव हरदम है ,
इसका अपने जीवन से नाता ।। ”

*** बे-घर , अनजान रेशम-सी बाल ,
कुसुम-सुकुमारी बाला ;
करती रही मंजिल की तालाश ,
आकाशवाणी-सी अंतर्मन की दर्द गुंज उठी :
” काली-गोरी की रंग भेद हमारी । ”
” कितनी धन-दौलत है तुम्हारी…? ”
” बिन चढ़ावा कैसी सु-वर की चाह तुम्हारी…? ”
” तुम हो केवल उपभोग की वस्तु-नारी । ”
” तुम हो आज हर माँ-बाप के लिए भारी । ”
” असमाजिकता की प्रकोप से ,
बढ़ती जा रही यह अत्याचारी । ”
” आधुनिकता की रोग से ,
बढ गई ये बालात्कारी । ”
” असमानता की बीज पनप ,
भ्रूणहत्या से मिट रही जीवन तुम्हारी । ”

वर्तमान की समीक्षा करती वह ब्यभीचारी ,
आज इतनी त्रासित क्यों है हिन्द की नारी…?
” सदियों की कहानी , मेरे मन जुबानी । ”
” अतीत क्या बताये .. , घट रही है ये हर रोज कहानी ।
दर-दर भटक रही ब्यभीचारी , दुःखों की मारी ।

नजर न आए कोई आज ,
प्रश्न चिन्ह है हम पर
” क्या यही है एक सभ्य समाज की अंदाज । ”
” क्या यही है एक सभ्य समाज की अंदाज । ”

*******************∆∆∆*****************

* बी पी पटेल *
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
१२ / ० ४ / २०२०

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 479 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"रिश्ता" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
राजनीति में ना प्रखर,आते यह बलवान ।
राजनीति में ना प्रखर,आते यह बलवान ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
" जब तक आप लोग पढोगे नहीं, तो जानोगे कैसे,
शेखर सिंह
आज़ ज़रा देर से निकल,ऐ चांद
आज़ ज़रा देर से निकल,ऐ चांद
Keshav kishor Kumar
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2331.पूर्णिका
2331.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अर्ज है
अर्ज है
Basant Bhagawan Roy
नर नारी
नर नारी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet kumar Shukla
💐अज्ञात के प्रति-128💐
💐अज्ञात के प्रति-128💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
पता ना चला
पता ना चला
Dr. Kishan tandon kranti
अंतहीन प्रश्न
अंतहीन प्रश्न
Shyam Sundar Subramanian
भूला नहीं हूँ मैं अभी भी
भूला नहीं हूँ मैं अभी भी
gurudeenverma198
खाना खाया या नहीं ये सवाल नहीं पूछता,
खाना खाया या नहीं ये सवाल नहीं पूछता,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
किस्मत की लकीरें
किस्मत की लकीरें
Dr Parveen Thakur
दगा बाज़ आसूं
दगा बाज़ आसूं
Surya Barman
मां तुम्हें सरहद की वो बाते बताने आ गया हूं।।
मां तुम्हें सरहद की वो बाते बताने आ गया हूं।।
Ravi Yadav
करवाचौथ
करवाचौथ
Mukesh Kumar Sonkar
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
आत्मविश्वास ही हमें शीर्ष पर है पहुंचाती... (काव्य)
आत्मविश्वास ही हमें शीर्ष पर है पहुंचाती... (काव्य)
AMRESH KUMAR VERMA
तारों से अभी ज्यादा बातें नहीं होती,
तारों से अभी ज्यादा बातें नहीं होती,
manjula chauhan
काम क्रोध मद लोभ के,
काम क्रोध मद लोभ के,
sushil sarna
हिन्दी दोहा- मीन-मेख
हिन्दी दोहा- मीन-मेख
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
संसार है मतलब का
संसार है मतलब का
अरशद रसूल बदायूंनी
आओ ऐसा एक भारत बनाएं
आओ ऐसा एक भारत बनाएं
नेताम आर सी
अगले बरस जल्दी आना
अगले बरस जल्दी आना
Kavita Chouhan
पिता
पिता
लक्ष्मी सिंह
"लाचार मैं या गुब्बारे वाला"
संजय कुमार संजू
तुम्हारा एक दिन..…........एक सोच
तुम्हारा एक दिन..…........एक सोच
Neeraj Agarwal
■ विडंबना-
■ विडंबना-
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...