कुसंगति
महेश पढ़ाई में अच्छा एवं संस्कारवान था, हो भी क्यों न माता-पिता कस्बे में शिक्षक थे, घर में पढ़ाई का माहौल था, हायर सेकेंडरी में प्रवीण सूची में नाम था। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए एनआईटी में दाखिला हो गया था, एवं रहने के लिए छात्रावास में व्यवस्था हो गई थी। बड़ा शहर नया-नया कॉलेज का माहौल महेश बहुत खुश था। नए नए मित्र सहपाठी स्वतंत्रता सभी कुछ था। महेश धीरे-धीरे माहौल में ढलता जा रहा था एनआईटी में देश भर से छात्र अध्ययन करने आते हैं, उनमें कुछ गिने-चुने छात्र पढ़ाई के साथ साथ कुबृतियों में फंस जाते हैं, महेश के साथ यही हुआ एक दिन तीन चार छात्रों का ग्रुप जो पहले से ही बिगड़ा हुआ था, शराब का सेवन कर रहे थे, उन्होंने महेश को भी ऑफर किया, महेश ने विनम्रता पूर्वक मना कर दिया। कैसा लड़का है यार, पढ़ाई और पढ़ाई अबे जिंदगी में और बहुत कुछ है यार, यह भी तो आदमी ही करते हैं यार, इससे अच्छी तो लड़कियां हैं पैक भी मार लेती है सिगरेट सब चलता है, कुछ तो शर्म कर ले, चल कोला पीले महेश को कोला में शराब मिलाकर दे दी थी। उस दिन महेश को बड़ा अच्छा लगा फिर तो महेश भी रंग गया उसी रंग में, आए दिन पार्टियां महंगे रेस्टोरेंट में खाना फिल्म बाजी घूमना फिरना सब शुरु हो चुका था। महेश कोचिंग जाता था इसलिए उसे नई मोटरसाइकिल भी दिलाई थी दोस्ती में महेश से दोस्त मोटरसाइकिल मांग कर ले जाते थे। एक दिन महेश के दो मित्र मोटरसाइकिल मांग कर ले गए थे, बे चैन स्कैनिंग में पकड़े गए, उन्होंने महेश का नाम भी बताया था मोटरसाइकिल महेश की ही थी, पुलिस हॉस्टल से महेश को भी उठा कर ले गई। पुलिस ने महेश के पिता को फोन लगाकर कहा आपका बेटा हिरासत में है, चैन स्केनिंग में पकड़ा गया है, आप थाने आईए। माता पिता के पैरों तले जमीन खिसक गई थी आनन-फानन में शहर आए, महेश से मिले, महेश नज़रें नहीं मिला पा रहा था, महेश से बस्तुस्थिति की जानकारी ली, महेश ने सारी बात सच-सच बता दी थी, ऐसी किसी वारदात में शामिल नहीं था हां यह लोग मुझसे मोटरसाइकिल कभी-कभी मांग लेते थे, यह लोग ऐसा काम करेंगे मुझे ऐसी आशा नहीं थी।
पुलिस तहकीकात सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में महेश कहीं भी नहीं था, लेकिन महाविद्यालय प्रशासन दोषियों के साथ महेश को भी 2 वर्ष के लिए निलंबित कर चुका था। पिता के साथ महेश प्राचार्य महोदय से मिले, उन्हें वस्तुस्थिति बताई महेश के अच्छे रिकॉर्ड को देखते हुए महेश का निलंबन रद्द कर दिया एवं समझाइश दी, देखो बेटा यहां दूर-दूर से छात्र आते हैं कतिपय छात्र बिगड़ जाते हैं, नया-नया शहरी माहौल महंगे शौक पूरा करने कुछ बिगड़े छात्र गलत कदम उठा लेते हैं फिर जीवन भर पश्चाताप के अलावा कुछ भी हाथ नहीं लगता। संगत देख समझकर करना चाहिए। महेश को भी अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ आंसू आ गए, प्राचार्य महोदय एवं पिता के पैर छूकर आगे कभी ऐसी भूल नहीं करने का संकल्प लिया।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी