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18 Jan 2023 · 1 min read

कुल के दीपक

बस दूर तलक जाना है
विस्मृत मंजिल की ओर
जो बनी ही नहीं शायद
कभी किसी एक लिए
बस जाना है
किस ओर किस दिग
पता नही कहां
ढेरों आशाओं का बोझा लिए
बस जाना है

ओ मेरे कुल के दीपक
अस्तित्व तेरा इसी में है
बस जलते चले जाना है
तुझे बस चलते चले जाना है।।

Language: Hindi
3 Likes · 250 Views
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