कुण्डलिया
बेसी जहर त साँप से ,भरले बा इंसान
मुँह पर बोलत मीठ बा,इहे हवे पहचान
इहे हवे पहचान,बाँचि के रहीहs बबुआ
करेला गुणगान उ,हऊवे बड़का लफुआ
सब देखावे साँच, बनेला बड़का देसी
बोले दिनभर झूठ,बेंचेला जहर बेसी
गणेश नाथ तिवारी”विनायक
बेसी जहर त साँप से ,भरले बा इंसान
मुँह पर बोलत मीठ बा,इहे हवे पहचान
इहे हवे पहचान,बाँचि के रहीहs बबुआ
करेला गुणगान उ,हऊवे बड़का लफुआ
सब देखावे साँच, बनेला बड़का देसी
बोले दिनभर झूठ,बेंचेला जहर बेसी
गणेश नाथ तिवारी”विनायक