कुण्डलिया
मानव अपने कर्म पर, करके पश्चाताप l
मन में भरकर वेदना, करता रहे विलाप ll
करता रहे विलाप, अश्रु बन जाते दरिया l
इसमें मानव डूब,खोजता रहता ज़रिया ll
करके नित्य कुकर्म ,मनुज कहलाता दानव l
अपनी करनी आप, भोगता रहता मानव ll
साई लक्ष्मी गुम्मा ‘शालू ‘
आंध्र प्रदेश
#स्वरचित _मौलिक