कुण्डलिया छंद
हे! त्रिपुरारी आपकी ,महिमा अपरंपार l
भक्तों की हर आपदा,दूर करें हर बार l
दूर करें हर बार, सभी के मन की पीड़ा l
बनकर पालनहार,उठाते जग का बीड़ा ll
नाथो के हे! नाथ,आपकी लीला न्यारी l
चलें थामकर हाथ ,भक्त का हे! त्रिपुरारी ll
साई लक्ष्मी गुम्मा ‘शालू
आंध्र प्रदेश
स्वरचित _मौलिक