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5 Jun 2024 · 1 min read

कुछ हल्का हो लें

पत्थर न बन जाए ये दिल,
इसलिए कुछ हल्का हो लें।

चले आओ तुम यहां,
तुमसे लिपटकर हम थोड़ा रो लें।

अब दर्द बनकर आंसू बहने दो,
आंखों के पानी से आज सारे जख्म धो लें।

धूप में बहुत जला लिया तन बदन,
ठंडी चांदनी में कुछ देर सो लें।

कांटों पर चलकर गुजारा है हमने ये जीवन अपना,
आओ अब हर तरफ सतरंगी फूलों की क्यारियां बो लें।

तपती रेत सी चुभने लगी है जिंदगी,
बस अब खुद को गहरे नीले समुंदर में तुम संग डूबो लें।

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