कुछ लिखा था
कुछ लिखा था और कुछ अभी बाकी हैं.
जन्नत-ए-ख्वाब देखा पूरा होना बाकी हैं.
वो देखे ख्याब जो जन्नत के सच हो जाएंगे
समय आने दो सब पहेली हम सुलझाएंगे।
© प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला-महासमुन्द (छःग)
कुछ लिखा था और कुछ अभी बाकी हैं.
जन्नत-ए-ख्वाब देखा पूरा होना बाकी हैं.
वो देखे ख्याब जो जन्नत के सच हो जाएंगे
समय आने दो सब पहेली हम सुलझाएंगे।
© प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला-महासमुन्द (छःग)