Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2022 · 2 min read

कुछ यादें जीवन के

जिन्दगी मे आए मेरे कितने सुखों के पल
जिन्दगी मे आए मेरे कितने दुखों के पल।
बीते हुए उन पलों को कैसे मैं याद करूँ।
आए जो जीवन मे सुख-दुख के पल,
उन्हें किन शब्दो मे बयान करूँ।
कुछ लम्हें हैं जो मेरे अतीत के
सदा आँखो के सामने रहते हैं।
याद आता है जब हमें हमारा बचपन
खुशी के आँसु आँखो में
अपने आप छलक आते हैं।
माँ-पापा के छाँव के उस पल में
जीवन मे कितना था सकून,
यह पल मुझे हर घड़ी अपने
बचपन की याद दिलाता है।
भाईयों के संग लड़ना -झगड़ना ,
मन को आज भी गुदगुदाता है।
न ही चिन्ता थी किसी बात की
न फिक्र थी जमाने की।
वह पल और कोई नहीं,
वह पल याद दिलाता है
बचपन के सुहाने दिन की।
फिर याद करूँ तो याद आती है,
हमें वह विदाई का पल
जिस पल माँ-पापा और भाईयों से
हम बिछड़ गए थे।
छोड़कर उस दिन बाबुल का घर
किसी और घर के लिए चल दिए थे।
सारे पुराने रिश्ते उस दिन पीछे छुट गए थे।
उस दिन एक नए रिश्तो के संग हम बँध गए थे।
थाम पति का दामन हम उनके साथ चल दिए थे।
शादी जैसे पवित्र रिश्तों से हम जो बँध गए थे।
सबकुछ रीति-रिवाज से बँधा हुआ था।
फिर न जाने क्यों उस पल को याद कर
आज भी दिल भारी-भारी हो जाता है।
आँखो में न जाने क्यों एक दर्द के आँसु छलक आता है
इस रस्म-रिवाज पर कभी-कभी
मुझे गुस्सा भी आता है।
बेटी को इस रस्म रिवाज के नाम पर ही क्यों?
हर बार अपनी सहनशक्ति की परीक्षा देना होता है।
यह सोचकर आज भी मन भारी हो जाता है।
फिर याद करूँ तो याद आता है हमें अपना ससुराल।
जहाँ मिला था हमें बहुत आदर सत्कार।
देखकर उन सब का प्यार मन का डर निकल गया था।
नए रिश्तों को यह दिल धीरे-धीरे अपनाने लगा था।
कुछ ही दिनों मे मैं नए रिश्तों मे
अब पूरी तरह घुल मिल गई थी।
उस घर के हर एक सदस्य से रिश्ता जोड़ चुकी थी।
अब इस दिल को यह घर अपना घर लगने लगा था।
अब वह घर नही रह गया था सिर्फ मेरा ससुराल।
अब बन गया था पुरी तरह हमारा घर-संसार।
आज उस घर संसार को याद करूँ तो
एक जिम्मेदारी याद आती है।
जो हमें पत्नी, बहु और माँ के रूप मे मिला था।
उस जिम्मेदारी को याद करूँ तो याद आता है एक विश्वास
जो घर के हर एक सदस्य ने हम पर जताया था।
याद करती हूँ उस पल को तो खुशी के आसूँ आँखो मे छलक आते हैं।
हर जिम्मेदारी को हमने बखूबी निभाया है।
और आज भी उसे निभा रही हूँ।
हर रिश्तो मे प्यार बना रहे,
आज भी यही चाह रही हूँ।

अनामिका

Language: Hindi
4 Likes · 6 Comments · 613 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*मधु मालती*
*मधु मालती*
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
Love is beyond all the limits .
Love is beyond all the limits .
Sakshi Tripathi
2464.पूर्णिका
2464.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
सवाल जवाब
सवाल जवाब
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
Rj Anand Prajapati
हे आशुतोष !
हे आशुतोष !
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
दिल है या दिल्ली?
दिल है या दिल्ली?
Shekhar Chandra Mitra
चाँद तारे गवाह है मेरे
चाँद तारे गवाह है मेरे
shabina. Naaz
आजकल कल मेरा दिल मेरे बस में नही
आजकल कल मेरा दिल मेरे बस में नही
कृष्णकांत गुर्जर
इन्तजार है हमको एक हमसफर का।
इन्तजार है हमको एक हमसफर का।
Taj Mohammad
पेड़ लगाओ तुम ....
पेड़ लगाओ तुम ....
जगदीश लववंशी
आया सावन झूम के, झूमें तरुवर - पात।
आया सावन झूम के, झूमें तरुवर - पात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*जिनके मन में माँ बसी , उनमें बसते राम (कुंडलिया)*
*जिनके मन में माँ बसी , उनमें बसते राम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
News
News
बुलंद न्यूज़ news
गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
शतरंज
शतरंज
भवेश
अरे शुक्र मनाओ, मैं शुरू में ही नहीं बताया तेरी मुहब्बत, वर्ना मेरे शब्द बेवफ़ा नहीं, जो उनको समझाया जा रहा है।
अरे शुक्र मनाओ, मैं शुरू में ही नहीं बताया तेरी मुहब्बत, वर्ना मेरे शब्द बेवफ़ा नहीं, जो उनको समझाया जा रहा है।
Anand Kumar
मुझे तरक्की की तरफ मुड़ने दो,
मुझे तरक्की की तरफ मुड़ने दो,
Satish Srijan
नींदों में जिसको
नींदों में जिसको
Dr fauzia Naseem shad
दशरथ माँझी संग हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
दशरथ माँझी संग हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
Three handfuls of rice
Three handfuls of rice
कार्तिक नितिन शर्मा
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
Ranjeet kumar patre
किसी ग़रीब को
किसी ग़रीब को
*Author प्रणय प्रभात*
कल पर कोई काम न टालें
कल पर कोई काम न टालें
महेश चन्द्र त्रिपाठी
गुम है सरकारी बजट,
गुम है सरकारी बजट,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आने वाला कल दुनिया में, मुसीबतों का कल होगा
आने वाला कल दुनिया में, मुसीबतों का कल होगा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"गुजारिश"
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी जब जब हमें
जिंदगी जब जब हमें
ruby kumari
भीम षोडशी
भीम षोडशी
SHAILESH MOHAN
तुम भोर हो!
तुम भोर हो!
Ranjana Verma
Loading...