कुछ पन्ने मेरी जिंदगी के…। पेज न.2000
2024 से मेरी तबियत ठीक नहीं है।जुलाई से तो ज्यादा खराब है। मन के पीड़ाएं हैं जो तन की भी ताकत छीन लेती हैं।
मन के आसमान पर बहुत गहरी उदासी छाई है जो मन-आसमां का ठहरा हुआ और न बदलने रूप बन जाती है।
कुछ भी अच्छा नहीं लगता। भोजन की भी इच्छा नहीं होती। तनाव और दुःख, मस्तिष्क में चलायमान रहते हैं।
एक लेखन ही है जो जिंदा होने का अहसास देता है नहीं तो जिंदगी का पता ही नहीं चलता।
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78