कुछ न तुमसा था
कुछ न तुमसा था
और न मुझसा था
फिर भी कुछ था
जो एक जैसा था
वो था एहसास
जिसका एहसास
तुझे भी था
और मुझे भी था ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
कुछ न तुमसा था
और न मुझसा था
फिर भी कुछ था
जो एक जैसा था
वो था एहसास
जिसका एहसास
तुझे भी था
और मुझे भी था ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद