” कुछ नहीं बदला बस चुभती है मंहगाई “
” कुछ नहीं बदला बस चुभती है मंहगाई ”
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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न बदली वो रौनक न बदला है रूप ,
न बदली है छाया न बदली है धूप !!
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शान से खड़ा क़ुतुब का मीनार है,
लाल किला का अपना इतिहास है !
राजपथ संसद की गरिमा आपार है,
विश्व की निगाहें टिकती सौ बार है !!
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न बदली वो रौनक न बदला है रूप ,
न बदली है छाया न बदली है धूप !!
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मेट्रो की सेवा हर्षित हमें करती है,
दुर तक लोगों को क्षण में ले जाती है !
शिक्षा, शीलता का गढ़ यहाँ बन गया ,
लोग सारे मिल गए प्रेम का यह घर बना !
हमने कुछ प्रयोग करने को ठानी ,
किसी एक की न चलेगी मनमानी !
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न बदली वो रौनक न बदला है रूप,
न बदली है छाया न बदली है धूप !
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फिर देखते ही देखते मोदी को लाया ,
नया प्रयोग कुछ हमसे करवाया !
हमें क्या पता था हमें भरमायेगा ,
मंहगाई की मार हम पर बरसायेगा !
अच्छे दिन के लोभ में रख कर ,
भ्रमित किया है सबने मिलकर!!
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न बदली वो रौनक न बदला है रूप
न बदली है छाया न बदली है धूप !
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत