कुछ त बोला नs
सावन आईल मनवा डोलल
मधुर तान में पपीहरा बोलल
एहि सावन के रिमझिम फुहार में
एहर- ओहर तनि डोला न
हे गोरी कुछ त बोला नs
प्रीत के असली रंग केसरिया
ऊपर से मदमस्त बयरिया
मोरवा के मस्त -मगन नृत्य में
कुछ देर साथ में हो ला नs
हे गोरी कुछ त बोला नs
नैना के आगे मूक अधर
मनवा डोले एहर -ओहर
आवा साथे मेड़ा पर बइठ के
भेद कुछ मन के खोला नs
हे गोरी कुछ त बोला नs
देर भईल कुछ बात न कहलू
का इतना देर ले सोचत रहलू
अपने शब्द से दिल के समंदर में
रंग ख़ास – मिठास के घोला नs
हे गोरी कुछ त बोला नs
-सिद्धार्थ गोरखपुरी