==कुछ तो कीजिए ==
चमन में खिलेंगे गुल भी,
थोड़ा इंतजार तो कीजिए।
कुदरत ने किया श्रृंगार ,
थोड़ा दीदार तो कीजिए।
मानेंगे रूठे यार,
थोड़ी मनुहार तो कीजिए।
उड़ जाएंगे दिलों के गुबार,
थोड़ा सा प्यार तो कीजिए।
छंट जाएंगे गम के बादल,
थोड़ा मुस्कुरा तो दीजिए।
आएंगे सुख के दिन भी,
थोड़ा एतबार तो कीजिए।
चलेगी शीतल सी बयार,
जरा एहसास तो कीजिए।
कल चमन में छाएगी बहार,
आज आप ऐसी ही,
कुछ करामात तो कीजिए।
–रंजना माथुर दिनांक 09/07/2017
(मेरी स्व रचित व मौलिक रचना)
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