कुछ तलाशती रहती हूं पर
कुछ तलाशती रहती हूं पर
जो खोजना चाह रही हूं
वह मिल नहीं पा रहा
कुछ कहना चाहती हूं पर
जो सबके समक्ष बात बोलना चाह
रही हूं
उसके लिये शब्दों का भंडार मिल नहीं
पा रहा
कुछ समझना चाहती हूं पर
जो कुछ अपने दामन में समेटना
चाहती हूं
उसके अनुसार यह संसार का
स्रोत मिल नहीं पा रहा
कुछ सुनना चाहती हूं पर
जो कुछ कर्णप्रिय अपने कानों में
कम्पित करना चाह रही हूं
उसके मुताबिक एक संगीतमय
झंकार का सुर बज नहीं पा रहा
कुछ देखना चाहती हूं
सुंदर
जो निहारना चाहती हूं मनोहारी
उस जैसा कोई प्राकृतिक
छटा समेटे दृश्य
पलकों की चिलमन पर डेरा
जमा नहीं पा रहा
कुछ उतारना चाहती हूं
मन की गहराइयों में
एक शुद्ध स्वर्ण के तरल सा
उस पैमाने के प्रभु चरणों के दर्शन
के एक अंश सा भी
मुझको तो इस जीवन के सफर में
कोई ठहराव का चिन्ह मिल
नहीं पा रहा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001