Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Sep 2021 · 1 min read

कुछ काम हो जाए

बहुते हो चुका
राम-राम साहेब!
हो जाय अब
कुछु काम, साहेब!
टीवी औरी
अखबारे में हम!
केतना सुने हैं
आपके नाम, साहेब!
Shekhar Chandra Mitra

Language: Hindi
189 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

छूट रहा है।
छूट रहा है।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
अपने-अपने काम का, पीट रहे सब ढोल।
अपने-अपने काम का, पीट रहे सब ढोल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
आशा
आशा
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
अपना जीना कम क्यों हो
अपना जीना कम क्यों हो
Shekhar Chandra Mitra
"साहित्यपीडिया" वालों को अपनी प्रोफाइल "लॉक्ड" करने के साथ ए
*प्रणय*
गीत- कृपा करना सदा हमपर...
गीत- कृपा करना सदा हमपर...
आर.एस. 'प्रीतम'
हमें
हमें
sushil sarna
पलकों पे जो ठहरे थे
पलकों पे जो ठहरे थे
Dr fauzia Naseem shad
शापित रावण (लघुकथा)
शापित रावण (लघुकथा)
Indu Singh
आंखें
आंखें
Ragini Kumari
Cá độ qua 188bet.com, 64 bị cáo hầu tòa
Cá độ qua 188bet.com, 64 bị cáo hầu tòa
Cá độ qua 188bet.com
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
Phool gufran
जीवन को सुखद बनाने की कामना मत करो
जीवन को सुखद बनाने की कामना मत करो
कृष्णकांत गुर्जर
छोड़ जाऊंगी
छोड़ जाऊंगी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
नव्य द्वीप का रहने वाला
नव्य द्वीप का रहने वाला
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
मेरी कल्पना पटल में
मेरी कल्पना पटल में
शिव प्रताप लोधी
“ सर्पराज ” सूबेदार छुछुंदर से नाराज “( व्यंगयात्मक अभिव्यक्ति )
“ सर्पराज ” सूबेदार छुछुंदर से नाराज “( व्यंगयात्मक अभिव्यक्ति )
DrLakshman Jha Parimal
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ओसमणी साहू 'ओश'
स्वयं को संत कहते हैं,किया धन खूब संचित है। बने रहबर वो' दुनिया के
स्वयं को संत कहते हैं,किया धन खूब संचित है। बने रहबर वो' दुनिया के
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
"गम का वहम"
Dr. Kishan tandon kranti
#justareminderdrarunkumarshastri
#justareminderdrarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
डमरू घनाक्षरी
डमरू घनाक्षरी
Rambali Mishra
*मैं पक्षी होती
*मैं पक्षी होती
Madhu Shah
Subject-I don't believe in God.
Subject-I don't believe in God.
Priya princess panwar
कितना खाली खालीपन है
कितना खाली खालीपन है
Saraswati Bajpai
लोककवि रामचरन गुप्त के रसिया और भजन
लोककवि रामचरन गुप्त के रसिया और भजन
कवि रमेशराज
*आँखों से  ना  दूर होती*
*आँखों से ना दूर होती*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दोस्ती
दोस्ती
Adha Deshwal
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
Loading...