Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Apr 2022 · 1 min read

कुछ कहो भी

क्या कहती हो फिर
कुछ कहो भी
खामोश न रहो
लब खोलो और
मन की बातें
करो भी
यूं तो तुम्हारी खामोशी भी
बहुत आवाज करती है पर
आज मेरा कहा मानो
कोयल की कूक से गूंजा दो
यह सूना चमन
मेरे जो कुछ भी है मन में आज
उसे पूरा करो भी।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
330 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
तू मिला जो मुझे इक हंसी मिल गई
तू मिला जो मुझे इक हंसी मिल गई
कृष्णकांत गुर्जर
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
#मंगलकामनाएं
#मंगलकामनाएं
*Author प्रणय प्रभात*
वक्त
वक्त
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
एस. पी.
एस. पी.
Dr. Pradeep Kumar Sharma
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
DrLakshman Jha Parimal
कई रंग देखे हैं, कई मंजर देखे हैं
कई रंग देखे हैं, कई मंजर देखे हैं
कवि दीपक बवेजा
अन्त हुआ सब आ गए, झूठे जग के मीत ।
अन्त हुआ सब आ गए, झूठे जग के मीत ।
sushil sarna
एक सच
एक सच
Neeraj Agarwal
भक्त गोरा कुम्हार
भक्त गोरा कुम्हार
Pravesh Shinde
मंजिल तक का संघर्ष
मंजिल तक का संघर्ष
Praveen Sain
मेरे चेहरे पर मुफलिसी का इस्तेहार लगा है,
मेरे चेहरे पर मुफलिसी का इस्तेहार लगा है,
Lokesh Singh
.............सही .......
.............सही .......
Naushaba Suriya
पतझड़ से बसंत तक
पतझड़ से बसंत तक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
हालात बदलेंगे या नही ये तो बाद की बात है, उससे पहले कुछ अहम
हालात बदलेंगे या नही ये तो बाद की बात है, उससे पहले कुछ अहम
पूर्वार्थ
रक्षाबन्धन
रक्षाबन्धन
कार्तिक नितिन शर्मा
2534.पूर्णिका
2534.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
प्राणदायिनी वृक्ष
प्राणदायिनी वृक्ष
AMRESH KUMAR VERMA
"दण्डकारण्य"
Dr. Kishan tandon kranti
मनोहन
मनोहन
Seema gupta,Alwar
मेरे उर के छाले।
मेरे उर के छाले।
Anil Mishra Prahari
आम्बेडकर मेरे मानसिक माँ / MUSAFIR BAITHA
आम्बेडकर मेरे मानसिक माँ / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
कोई नहीं करता है अब बुराई मेरी
कोई नहीं करता है अब बुराई मेरी
gurudeenverma198
💐प्रेम कौतुक-172💐
💐प्रेम कौतुक-172💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कृषक
कृषक
साहिल
सुधार आगे के लिए परिवेश
सुधार आगे के लिए परिवेश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बिना शर्त खुशी
बिना शर्त खुशी
Rohit yadav
चन्द्रमाँ
चन्द्रमाँ
Sarfaraz Ahmed Aasee
मातृ भाषा हिन्दी
मातृ भाषा हिन्दी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*जीवित हैं तो लाभ यही है, प्रभु के गुण हम गाऍंगे (हिंदी गजल)
*जीवित हैं तो लाभ यही है, प्रभु के गुण हम गाऍंगे (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
Loading...