कुछ उसको ज़माने से शिकायत भी बहुत थी
कुछ उसको ज़माने से शिकायत भी बहुत थी
आँखों में भरी उसकी बग़ावत भी बहुत थी
तूफ़ान जो आया तो मुसीबत भी बहुत थी
कुछ लोग भी जीदार थे हिम्मत भी बहुत थी
हर बार पड़ी सबको नसीहत की ज़रूरत
हालाँकि किताबों में हिदायत भी बहुत थी
हालाँकि किसी काम से इन्कार न था उसको
करता था बहुत काम तो गफलत भी बहुत थी
परदेस चले जाने की बिल्कुल न थी चाहत
अपना वतन से उसको मुहब्बत भी बहुत थी
रस्मों से रिवाज़ों से सदा दूर रहा वो
किरदार में उसके तो शराफ़त भी बहुत थी
देता वो कभी था ही नहीं दुख भी किसी को
करता था फ़क़त प्यार सदाक़त भी बहुत थी
हर जीत लड़ाई के बिना वैसे थी हासिल
लड़ने में मगर उसको महारत भी बहुत थी
‘आनन्द’ जलन उससे हुई सबको ही उसकी
मुश्किल से बचे रहने की किस्मत भी बहुत थी
डॉ आनन्द किशोर