कुंती कान्हा से कहा,
कुंती कान्हा से कहा,
दीजै मोको दुःख ।
दुख ही नाम जपाये के,
देता बेहद सुख ।
ऐसा करो गोविंद जी,
दुख हो मूसलाधार ।
दुख ही एकल माध्यम,
दुख से मिले करतार।
मानव जीवन बीतता,
केवल सुख की खोज ।
सुख हो अथवा दुख हो,
रहो प्रभु की मौज।
हर हालत में जापिये,
निश दिन हरि का नाम ।
नाम ही लेकर जाएगा,
एक दिन ठाकुरधाम ।
सतीश सृजन