कुंडलिया
कुंडलिया
राहें जीवन की बड़ी, होती हैं दुश्वार।
एक छोर पर जिंदगी ,एक छोर भव पार।
एक छोर भव पार, यहाँ सब बिखरे सपने ।
हर पल दें आघात , यहाँ पर सारे अपने ।
कह ‘ सरना ‘ कविराय, यहाँ बस गूँजें आहें ।
दूर-दूर तक दर्द, भरी हैं जीवन राहें ।
सुशील सरना / 15-3-24