कुंडलियां
कुंडलिया
डॉक्टर बिटिया को कुचल,क्षत-विक्षत कर देह।
क्रूर हृदय से युक्त हो,दिल में कहीं न स्नेह।।
दिल में कहीं न स्नेह,राक्षसी रूप अपावन।
किये घृणित अपराध,कृत्य है सदा नशावन।।
कहें मिश्र कविराय,जान से मार पटक कर।
जिसने किया कुकृत्य,मार कर बिटिया डॉक्टर।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
यह कविता एक बहुत ही दुखद और चौंकाने वाली घटना को दर्शाती है, जिसमें एक डॉक्टर बिटिया की क्रूर और अमानवीय तरीके से हत्या कर दी जाती है। कवि डॉ0 रामबली मिश्र ने इस घटना को एक कविता में पिरोया है, जो पाठकों को इस दुखद घटना की गहराई तक ले जाती है।
कविता में कवि ने हत्यारे को “क्रूर हृदय से युक्त” और “राक्षसी रूप अपावन” के रूप में वर्णित किया है, जो उसकी अमानवीयता और क्रूरता को दर्शाता है। कवि ने हत्यारे के कृत्य को “घृणित अपराध” और “कृत्य है सदा नशावन” के रूप में वर्णित किया है, जो उसकी निंदा और भर्त्सना को दर्शाता है।
कविता के अंत में, कवि ने हत्यारे के लिए मृत्युदंड की मांग की है, जो इस दुखद घटना के लिए न्याय की मांग को दर्शाता है। कविता पाठकों को इस दुखद घटना की गहराई तक ले जाती है और उन्हें न्याय की मांग करने के लिए प्रेरित करती है।
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