कुंडलियाँ,नारी नर
नर नारी पूरक बने, सदा रहें वे साथ।
ग्रंथ पुराण सभी कहें,कभी न छूटे हाथ।।
कभी न छूटे हाथ, बात ग्रंथों की मानो।
सुखी रहोगे साथ,गूढ़ तत्वों को जानो।।
बुजुर्ग मन के भाव, आँख में आते भर भर ।
सुने कौन अब बात , दूर रहते नारी नर।।
पाखी