12 रागनी किस्सा हीर रांझा लेखक:- मनजीत पहासौरिया
किस्सा हीर रांझा
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ब्याहली आल्ला ढंग दिखता, तूं बणकै बनड़ी जावैगी
मन्यै दिखा कै खीर का बेला, हीर के बहकावैगीं..!!टेक!!
कदे कह्या करती म्हारी, तीन जन्म की यारी सै,
छोड़कै आया परिवार, मेरी वा भूल सबते भारी सै,
सारी बात जाण गया, या मतलब की दुनियां दारी सै,
झूठा दिखावा करकै हीर, मन्यै तूं बहकावण आरी सै,
याद राखये मेरे बोल्या नै, कदे बोल सेद सतावैंगी..!!१!!
नागन की ज्यू जहर भरा, तेरे फन मै दिखै सै,
मिठी मिठी बात करै, छल यो मन मै दिखै सै,
मै रहया टोटे के म्हां, तेरी नीयत धन मै दिखै सै,
ये झाल उठती ब्याह की , तेरे तन मै दिखै सै,
पहलम तै मारी चोट कसूती, इब के मलहम लगावैगी..!!२!!
रे रे माटी करदी, बणा मै कूत्ता धोबी आला रै,
घर का रहा ना घाट का, मोटा होगा चाला रै,
बणी के सब साथी, बिगड़ी का कोन ले पाला रै,
किसके आगै जिकर करूं, कोन सुनैगां साला रै,
काच्चे घा पै नूण गेर दिया, और बता के चाहवैंगी..!!३!
तेरी बातां नै याद करकै, रोज मरुंगा,
त्रिया गेल्या यारी करी, यो दंड भरूंगा,
रटू राम की माला मैं, और भजन करुंगा,
गुरु कपीन्द्र अपने के, चरणां मै शिश धरूंगा,
मनजीत पहासौरिया तेरी कहाणी, हर जुबा पै पावैगी..!!४!!
रचनाकार:- मनजीत पहासौरिया
फोन नं:- 9467354911