किस्मत
हाथों की लकीरों की चित्रकारी में साथियों,
कुछ डालो मेहनत के रंग।
फिर जो अक्स उभरेगा भविष्य का
उसमें निखर कर आएगा,
तुम्हारी किस्मत का असली रूप रंग।
किस्मत की सुई में मेहनत का धागा।
यूं लगे जैसे सोने पे सुहागा।
किस्मत के भरोसे कभी मत सोना
न मिला कुछ कभी तो मत रोना।
कर्म सर्वोपरि है जीवन में
किस्मत को भी वह कभी-कभी
भर लेता अपने दामन में।
–रंजना माथुर दिनांक 28/07/2017
(मेरी स्व रचित व मौलिक रचना )
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