किस्मत का खेल
देख तमाशा किस्मत का
कैसा कैसा खेल दिखाये
कुछ को देखो सब दे जाये
कुछ के कुछ हाथ ना आये
खेलने कूदने की उम्र में वो
देखो पैसे कमाने जाये
नही कोसती दुनिया को
ना वो किसी को,
अब नज़र ही आये
दो रोटी को लाले घर में
खेलने को खिलौने कहाँ से पाये
देख उन्हें इस हालत में अब
खुद पे खूब तरस है आये
होते हुये सब अपने पास
फिर भी भगवान को
खूब कोसते जाये
ऐसी असमानता ना हो कंही पर
जिसमे कोई खूब खाये,
कंही कोई भूखा सो जाये।।
®आकिब जावेद