किसी रोज़ तुम
किसी रोज़ तुम
देखना मुझको लिख के
वो एहसास दिल के
वो सारी दिल की बातें
जिन्हें चाह कर भी
तुम मुझसे कह नहीं पाते
वो सारे अल्फ़ाज़
जिन्हें लिख कर
मुझे खोने के डर से
तुमने अक्सर मिटाया है !
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
किसी रोज़ तुम
देखना मुझको लिख के
वो एहसास दिल के
वो सारी दिल की बातें
जिन्हें चाह कर भी
तुम मुझसे कह नहीं पाते
वो सारे अल्फ़ाज़
जिन्हें लिख कर
मुझे खोने के डर से
तुमने अक्सर मिटाया है !
डाॅ फौज़िया नसीम शाद