किसान
लहलहाती फसलें और खुशहाल
किसान
देश का गौरव है ये किसान ।
मेहनत करते फिर भी न थकते
मानव के अन्नदाता होते ये किसान।
सूखा जब धरा!पर होता
बूंद-बूंद पानी को तरसता
चैन से कहां सोता ये किसान।
चिलचिलाती धूप में
सिर से पसीना बहाता किसान
ऐसे ही नहीं तपती धूप में
फसलें काटता किसान।
गर्मी की तपती धूप में
अनाज काटते हैं किसान
हाथ में हंसिया सिर पे साफा,
फौलादी बन जाते हैं किसान।।
जय जवान
जय किसान!!!
स्वरचित-सुषमा सिंह *उर्मि+