किसान
कपड़े है एक जोड़ी,घर में नहीं तिजौरी,पास नहीं फूटी कौड़ी,फिर भी ईमान है।
नित अभावों में पला, भूख से पेट भी जला, सत्य पथ से न टला,देवता समान है।
घर में टूटी खटिया,बैठी कुमारी बिटिया,चुल्हा जलाती बुढ़िया,बड़ी परेशान है ।
आँखों में अश्रु की धारा,सबका पालनहारा,बेचारा भाग्य का मारा,देश का किसान है।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली