किसान की आवाज
तुम अनमोल हो सस्ते में तुम बिक ना जाना,
तुम हमसे हो, यह तुम भूल ना जाना,
अभी तक पीछे खड़े हैं तुम्हारे, तभी वजूद है तुम्हारा,
अपने आगे खड़ा ना करो हमें, कभी इतिहास बन न जाए तुम्हारा,
दी थी भागदौड़ तुम्हें, कुछ जानकर,
मान लो हमारी भी अपना कुछ अपना मान कर,
मामूली ना समझना मैं किसान जानकर,
कहीं पासा ना पलट जाए पिछली सरकार जानकर…..
उमेंद्र कुमार