किसके काबू में हैं जज़्बात बता दें यारो
किसके काबू में हैं जज़्बात बता दें यारो
दे रहे ख़ुद को ही वो मात बता दें यारो
हर तरफ़ शोर है दंगे भी भड़क उठ्ठे हैं
क्यों हैं बिगड़े हुये हालात बता दें यारो
है लड़ाई जो मची शह्’र में क्या आफ़त है
बात क्या ख़ास कोई बात बता दें यारो
है जवाबों की बड़ी आस कोई आकर दे
ज़ह्’न में कुछ हैं सवालात बता दें यारो
है न आराम कोई चैन न मिलता है सुकूँ
ये अमीरी की है औक़ात बता दें यारो
जिसने धोका है दिया उसको मिलेगा धोका
ये मुक़द्दर में लिखी लात बता दें यारो
है अँधेरा तो मगर राह न मुश्किल होगी
जुगनुओं से है भरी रात बता दें यारों
वो मेरे घर पे नहीं उसके है घर पर ‘आनन्द’
ये नहीं भीड़ है बारात बता दें यारों
– डॉ आनन्द किशोर