“किरदार”
“उम्र के पड़ाव में ,
कभी धूप कभी छांव में ,
अनेक किरदार देखे इंसान के…….
कुछ है निहायती अल्हड़,
तो कुछ ठहरे उम्दा खुर्राट l
कुछ पैदाइश बिंदास ,
तो कुछ सबके खास l
कुछ का झलकता बनावटीपन ,
तो कुछ का टपकता कपटीपन l
कुछ करे खुशामदगिरी,
तो कुछ करे दादागिरी l
कुछ कहते कटु वचन ,
तो कुछ के बहते अति मृदु वचन l
कुछ निभाए ईमानदारी,
तो कुछ जनम से अपनाये बेईमानी l
कोई दबा अहसान तले ,
तो कुछ किरदार मेरी समझ परे l
ऐसे कई किरदारों की फ़ौज है ,
जो बदलते हर रोज है l
सच कहूं तो जीवन का एक यर्थार्थ ,
जो मेने है समझा ,
किरदार निभाए सभी पहने अनूठा मुखोटा l
बस….
अपने किरदार से न्याय करना ,
गिरगिटों से तुम संभलना l
मकड़जाल है पसरा सर्वत्र ,
हर किरदार को तुम परखना l
“नीरज कुमार सोनी”
“जय श्री महाकाल*🕉️