किरदार में
2122 + 2122 + 2122 + 212
खूबियाँ हैं, ख़ामियाँ हैं, हर किसी किरदार में
दर्ज़ है सब कुछ वहाँ, अल्लाह के दरबार में
नेकियाँ करता रहा मैं, पाप यूँ कटते रहे
कर्म अपना था फ़क़ीरी, दोस्तो संसार में
बेवफ़ाई, छल-कपट करते रहे हम उम्रभर
क्या छपेगी ये ख़बर, शायद कभी अख़बार में
राह कब किसने चुनी है, ठीक अपने वास्ते
सब भटकते ही रहे, दुनिया के कारोबार में
इश्क़ का हो खेल चाहे, जंग का मैदान हो
मैं तनिक विचलित नहीं हूँ, जीत में या हार में