***” किताबें “***
“किताबे”??
जीने की राह दिखाकर पथ प्रदर्शक बन जाती है
अकेलापन में साथी बनकर करुणा भाव दर्शाती है
कलम की नोंक पर चलकर
विशाल ज्ञान भंडार भर जाती है
सरल ,सहज सुंदर शब्द पिरोकर
कथा ,कहानी काव्य रचना लिख जाती है
मन की गहराईयों में उतरकर
विचार मंथन में डूबा जाती है
ज्ञान प्रकाश से आलोकित कर
तमस पुंज दूर कर जाती है
आने वाली हरेक पीढ़ी को धरोहर
अनमोल तोहफा दे जाती है
कल ,आज ,बरसों तक कीमत अदा कर
किताबो के पन्नो में उकेर जाती है
सफल प्रसिद्धि प्राप्त आधार बनाकर
नव निर्माण संचार करा जाती है
किताबें से ज्ञान हासिल कर
प्रेरणा स्रोत्र बन जीवन सार्थक कर जाती है।
स्वरचित मौलिक रचना ??
*** शशिकला व्यास ***
#* भोपाल मध्यप्रदेश #*