कितने ग़म
भूल गया, थे कितने ग़म
दिल ने झेले इतने ग़म
अपनों ही से पाए, तो
ग़ैर कहाँ थे अपने ग़म
इक-इक कर सब टूट गए
जितने सपने, उतने ग़म
सबको प्यार-दुलार दिया
हमने पाए जितने ग़म
ख़ास नहीं थे कुछ यारो!
आख़िर थे ही कितने ग़म
भूल गया, थे कितने ग़म
दिल ने झेले इतने ग़म
अपनों ही से पाए, तो
ग़ैर कहाँ थे अपने ग़म
इक-इक कर सब टूट गए
जितने सपने, उतने ग़म
सबको प्यार-दुलार दिया
हमने पाए जितने ग़म
ख़ास नहीं थे कुछ यारो!
आख़िर थे ही कितने ग़म