कितना लिखूं
साहित्य पीडिया पर कितना लिखूं ।
मिलता न कोई सही जजमेंट ।।
आंखे फोङ -फोङ खूब लिखे ।
मिले न सही कोई परसेण्ट ।।
ट्रेन्डिंग जो थी घट गई ।
चढ गए मायूस के भेंट ।।
बार – बार अवलोकन करू ।
क्या रचना पर आया कोई कमेंट ।
देखा तो लाइक तक न मिली ।।
लोग एक दूसरे से ईर्ष्या मे चूर ।
गर कर दिया लाइक, कमेंट तो ।
हो जायेगा हमसे आगे का नूर ।
वाह रे! पीडिया क्या मै कहूं ।
मतलब की ये दुनिया ।
पाठकगण को हाय लगे ।।
जो पढ न किया हौसला आफजाई ।।
अगर नही पसंद हम आपको ।
कहो तो दूर हो जाए ।।
यूं घूंट घूंट के जीने से अच्छा ।
हमहि सबसे क्रूर हो जाए ।।
अब क्या लिखूं ?
कोई हमको समझाए ।।
फल की चिंता मत कर प्यारे कर्म किया जा न्यारे ।
आएगा जरूर एक दिन जब चमकेगे तेरे सितारे ।
लोग स्वप्न देखते है मै उम्मीद करता हूं ।
आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं ।
बस यही गलती मै हर बार करता हूं ।
कि कब जागेंगे भाग्य हमारे ।।
हम बस हाथ बांधकर बैठे है ।
पाठकगण के सहारे ।।
नही जीना मुझे अब मुझे ।
बिना किसी लक्ष्य के ।।
अब लगने लगा है जीवन ।
जैसे किसी पीपल – वट से ।
हिलता ,फलता तो है मगर ।
पर चलता न किसी पथ पर ।।
मै अपने ज्ञान को फैलाना चाहता हूँ ।
पर क्या करो गिर कर संभलना चाहता हूँ ।
कितना है आप सबको हमसे प्यार ।
बस मै सभी पंक्तियो से ।
यही जानना चाहता हूं ।
उदास हूं ।
पर हताश नही ।
भगवान् ज्ञान देता है सबको पर सही जुबान नही ।
अगर जुबान है सही तो ।
व्यक्ति बनेगा महान ही ।
मोदी, अटल बनेंगे लोग ।
सुकरात से हो महान ।
मै क्या तुलना करूँ ।
जुबान की कीमत जाने जहान ।।
मेरा भारत देश महान ।
मेरा भारत देश महान ।।
I ? INDIA
♡♡ RJ ANAND PRAJAPATI♡♡