Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 May 2023 · 2 min read

कितना बदल रहे हैं हम

कितना बदल रहे हैं हम ? ये ऐसा विचारणीय प्रश्न है, जिसकी गहराई में जाकर ही हम इसका सही उत्तर दे सकते हैं, ये सही है कि आज वक़्त ही नहीं हम भी बहुत तेज़ी से बदल रहे हैं हमारी जीवन शैली भी पूर्णता बदल गई है, रिश्ते कमज़ोर हो रहे हैं, विश्वास टूट रहे हैं,मानसिक आर्थिक तनाव के कारण लोग आत्महत्या कर रहे हैं, वृद्धाश्रम की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और सबसे चिंताजनक बात कि आज दूध पीती अबोध बच्चियों से लेकर वृद्ध महिलाएं बलात्कार का शिकार हो रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर मासूम बच्चे गंभीर अपराधों में लिप्त हो रहे हैं,कहीं भीड़ कानून अपने हाथ में ले रही है तो कहीं महिलाएं अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए कानून का दुरुपयोग कर रही है, कहीं रक्षक भक्षक की भूमिका निभा रहे हैं, तो कहीं रिश्तों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली घटनाएँ हमारे समक्ष आ रही हैं ,कहीं साम्प्रदायिकता में लोग अंधे होकर लोग मरने मारने को उतारू हैं ,यहाँ हमारी इंसानियत ही शर्मसार नहीं होती है बल्कि हमारी परवरिश, हमारे संस्कार ,हमारा आचरण भी परिभाषित होता है ,और मानसिकता का स्तर भी देखने को मिलता है, आज मूल्यों और नैतिकता के गिरते पतन ने लोगों की संवेदनशीलता को संवेदनहीनता में परिवर्तित कर दिया है यही कारण है कि स्वार्थ अपनी चरम सीमा पर है और सब कुछ होकर भी आत्मिक संतुष्टि नहीं लोग तंहा है मतलब के बिना कोई किसी से सम्बन्ध रखना पसंद नहीं कर रहा है ,किसी का दर्द अब किसी को छूकर नहीं गुज़र रहा है ,अफ़सोस आज सही और ग़लत का अंतर मिट चुका है क्या पा रहे हैं क्या खो रहे हैं कोई सोचना नहीं चाहता, ऐसा बदलाव ऐसी सोच ऐसी मानसिकता किस काम की जिसमें इंसान अपनी इंसानियत को ही भूल जाये, सही ग़लत के अंतर को ही मिटा बैठे ? आज ज़रूरत है खुद से सवाल करने की ,ज़रूरत अपने इंसान होने की विशेषताओं को तलाशने की है , और साथ ही सामाजिक मानसिकता में बदलाव लाने की है , ज़रूरत है शिक्षा के विस्तार की है , ऊंच नीच के भेद को मिटाने की है , ज़रूरत एक इंसान को दूसरे इंसान को सम्मान देने की है , एक दूसरे की कमियों को नज़र अंदाज़ करने की है , एक दूसरे की मदद करने के जज़्बे को स्वयं में उत्पन्न करने की है, अपने अख़लाक़ को बेहतर से बेहतर बनाने की है, अपनी सोच को निष्पक्ष बनाने के साथ तार्किक बनाये रखने की भी है, समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की है ,खुद पर विश्वास करने की है,और जीवन का क्या उद्देश्य है,उसको गम्भीरता से समझने की है।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: लेख
9 Likes · 380 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...