काश ये दुनिया बच्चा होती
काश ये दुनिया बच्चा होती, धरती कितनी अच्छी होती
न होते ये राग द़ेष, दुनिया कितनी सच्ची होती
काश यह दुनिया बच्चा होती
काश अगर मैं बच्चा होता, जीवन कितना सच्चा होता
न लड़ाई न झगड़ा होता, कोई रूठता कोई मनाता
खुशियों का संसार बनाता, भेदभाव का नाम न होता
कहीं अनैतिक काम ना होता, जीवन कितना अच्छा होता
काश अगर मैं बच्चा होता
खेल खेल में खूब झगड़ते, नहीं बड़ों से कभी अकड़ते
बड़े-बड़े मसले भी जग के, पलक झपकते यूं ही सुलझते
काश अगर मैं बच्चा होता, कहीं कोई भी दुखी ना होता
सबका दुख सुख सबका होता, कहीं भी हिंसा द़ेष न होता
कोई भी अपनों को न खोता, कोई कहीं भी जहर न बोता
काश अगर में बच्चा होता
न धर्म कहीं आड़े आता, न जात पात ही चल पाता
न नस्लभेद न रंग भेद, न भेद कोई भी चल पाता
सभी और समरसता होती, खुशियों का संसार बनाता
काश अगर मैं बच्चा होता, मिलकर सब का हाथ बटाता
जो मिल जाए बांट के खाता, बेरोक कहीं भी आता जाता
जल जंगल जमीन न खाता, नहीं मिटाता घर पशुओं के, सबको अपना दोस्त बनाता,
नहीं किसी से बैर बढ़ाता, सबको दुनिया की सैर कराता, और सभी की खैर मनाता काश अगर मैं बच्चा होता