काश चिरैया तू बिटिया न होती
काश चिरैया तुम बेटी न होती
बेटी भी होती तो इतनी छोटी न होती
मगर क्या ही बदल जाता
तुम नौ साल की न होती
नब्बे की ही होती…
होती तो तुम जननी ही होती
ढेढ़ इंच के जिस्म के हिस्से में
अपने अस्तित्व को ही खोती
काश चिरैया तुम बेटी न होती
होती भी तो इस देश न होती
उन सारे देशों में न होती
जिसमे तेरे हिस्से भोग्या होना बदा होता
तेरे जिस्म में ही तेरा कब्र न खुदा होता
कितने तरहों से कितनी जगहों पे तू
नर्क में उतारी गई, हाय…
कैसे बिटिया तू मारी गई
हाय… ये भूख, ये जिस्म की भूख
मां जाई को ही खा के अपनी आग बुझाती है
चिरैया हर बार जिस्म के नाम पे ही मारी जाती है
काश चिरैया तू बिटिया न होती
~ सिद्धार्थ