Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jan 2022 · 1 min read

‘काव्य-शतक’

‘काव्य-शतक’
°°°°°°°°°°°°

फिर आज , ऐसी बेला आई;
काव्य जगत में खुशियां छाई;
उत्कृष्ट लेखन की, मची होड़;
कइयों ने दिया लिखना छोड़;
कुछ कवि,भटके व भटकाए;
कोई रोए , कुछ दुखड़ा गाए;
सही बात रही, सबको खटक;
मची थी , जोर की उठापटक;
टकटकी लगी थी,पाठकों की;
सबको,काव्य की लालसा थी;
देख रहे थे,बिन गिराए पलक;
फिर तो,कवि ने कलम उठाई;
दिखी , कविकलम की ललक;
पूरी हुई तब ही,’काव्य-शतक’;
अल्पावधि में, मिली उपलब्धि;
खुश है सारा , ‘साहित्य-जगत’;
कई मुद्दे हुए ,काव्य में उजागर;
जैसे रहता हो , गागर में सागर;
दिखे सब,रस-मय व छंद-युक्त;
और सब सजे थे, ‘अलंकार’ से;
क्षुब्ध हुए कई , काव्य-प्रहार से।
************************

स्वरचित सह मौलिक:
……✍️पंकज ‘कर्ण’
………….कटिहार।।

Language: Hindi
5 Likes · 3 Comments · 725 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from पंकज कुमार कर्ण
View all
You may also like:
तुम मुझे बना लो
तुम मुझे बना लो
श्याम सिंह बिष्ट
पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
लक्ष्मी सिंह
■ आज का प्रहार
■ आज का प्रहार
*Author प्रणय प्रभात*
उसको उसके घर उतारूंगा मैं अकेला ही घर जाऊंगा
उसको उसके घर उतारूंगा मैं अकेला ही घर जाऊंगा
कवि दीपक बवेजा
💐प्रेम कौतुक-261💐
💐प्रेम कौतुक-261💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
लोभी चाटे पापी के गाँ... कहावत / DR. MUSAFIR BAITHA
लोभी चाटे पापी के गाँ... कहावत / DR. MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
নির্মল নিশ্চল হৃদয় পল্লবিত আত্মজ্ঞান হোক
নির্মল নিশ্চল হৃদয় পল্লবিত আত্মজ্ঞান হোক
Sakhawat Jisan
सावन
सावन
Ambika Garg *लाड़ो*
मुद्दतों बाद खुद की बात अपने दिल से की है
मुद्दतों बाद खुद की बात अपने दिल से की है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बहुत सहा है दर्द हमने।
बहुत सहा है दर्द हमने।
Taj Mohammad
जब बूढ़ी हो जाये काया
जब बूढ़ी हो जाये काया
Mamta Rani
यक्ष प्रश्न है जीव के,
यक्ष प्रश्न है जीव के,
sushil sarna
अब तो आओ न
अब तो आओ न
Arti Bhadauria
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
Shweta Soni
परिस्थितियॉं बदल गईं ( लघु कथा)
परिस्थितियॉं बदल गईं ( लघु कथा)
Ravi Prakash
कविता क़िरदार है
कविता क़िरदार है
Satish Srijan
कुछ हाथ भी ना आया
कुछ हाथ भी ना आया
Dalveer Singh
प्रभु श्री राम
प्रभु श्री राम
Mamta Singh Devaa
विनय
विनय
Kanchan Khanna
हल्लाबोल
हल्लाबोल
Shekhar Chandra Mitra
खेल और भावना
खेल और भावना
Mahender Singh
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
Rohit yadav
मातृभाषा
मातृभाषा
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में,
नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में,
Sahil Ahmad
2999.*पूर्णिका*
2999.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
माँ तुझे प्रणाम
माँ तुझे प्रणाम
Sumit Ki Kalam Se Ek Marwari Banda
बेरंग दुनिया में
बेरंग दुनिया में
पूर्वार्थ
इश्क में डूबी हुई इक जवानी चाहिए
इश्क में डूबी हुई इक जवानी चाहिए
सौरभ पाण्डेय
जिंदगी
जिंदगी
Neeraj Agarwal
इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई।
इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई।
Manisha Manjari
Loading...