* काव्य रचना *
** गीतिका **
विश्व कविता दिवस (२१मार्च) की हार्दिक शुभकामनाएं!
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काव्य रचना स्नेह की सरिता बहाती जा रही है।
एक दूजे को सहजता से मिलाती जा रही है।
शब्द संयोजन बहुत होता प्रभावी है जहां पर।
कल्पनाओं को धरातल पर सजाती जा रही है।
गीत सुन्दर गुनगुनाएं छंद हो या गीतिका हो।
छंद से है मुक्त तो भी दम दिखाती जा रही है।
काव्य में है ग्रंथ रचनाएं पुरातन जब यहां पर।
नित्य ये आध्यात्म की गंगा बहाती जा रही है।
मातृभाषा में लिखें हम सब सुनाएं खूब कविता।
है यही कर्तव्य हर पीढ़ी निभाती जा रही है।
एक नव ऊर्जा लिए परिवार के प्रिय अंग बनकर।
आज दुनिया काव्य का उत्सव मनाती जा रही है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य