कार्तिक मास दोहे
काली बदरी ओढ़नी, ओढ़ कार्तिक मास ।
लाया सर्दी अंक में ,बना उमस को ग्रास ।।
छाये घन नभ आँगना, करते ठंडी भोर ।
तुहिन कणों से साजती,धरती की हर कोर ।।
डाॅ रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल
काली बदरी ओढ़नी, ओढ़ कार्तिक मास ।
लाया सर्दी अंक में ,बना उमस को ग्रास ।।
छाये घन नभ आँगना, करते ठंडी भोर ।
तुहिन कणों से साजती,धरती की हर कोर ।।
डाॅ रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल