कारीगर
कोई बनाया एफिल टावर,
किसी ने ताज महल।
भीत,पिरामिड, हैंगिंग गार्डन,
उम्दा किया टहल।
कारीगर थे सारे अद्भुत,
काम था अति नायाब।
इनकी रचना सदा अजूबी,
हुनर था क्या कामयाब।
लेकिन सबसे बड़ा मिस्त्री,
सदैव ऊपरवाला।
कोई लेखनी न लिख पाये,
देकर कोई हवाला।
एक ही मिट्टी में उपजाता,
गन्ना,नीबू, मक्का।
नारियल फल में पानी भरता,
शुद्ध मधुर सौ टक्का।
अंडे का पानी बन जाता,
कैसे नन्हा बच्चा।
एक दाना कितने फल देता,
दस्तकार प्रभु सच्चा।
रिमझिम रिमझिम वर्षा करती,
नदी की कल कल छन छन।
कभी तपन सूरज करता तो,
कभी चले प्रभंजन।
उत्तम कृति है मानव का तन,
सर्वोत्तम उपहार।
सारी रचना अवर्णिनीय प्रभु,
क्या लिखूं सृजनहार।
हंसना रोना नर्तन गायन,
रूप शक्ति व विवेक।
ऐसा सृजन कर सकता बस,
साँचा तू हरि एक।
हृदय धड़कता सांसे चलती,
हरकत करें सब जोड़।
घुटना बाजू ऐसी रचना,
करो सीधा लो मोड़।
आंख में पलक पलक तल पुतली,
पुतली में एक तिल।
तिल में सारा राज भरा है,
ज्योति जले झिलमिल।
अंदर सब ब्रह्मांड बनाया,
खुद बैठा बन प्यारा।
शिल्पकार क्या गजब बनाया,
मानव तन दरबारा।
कारीगर तेरी रचना अद्भुत,
अनुपम तू कुम्भकार।
परम मिस्त्री तुम्हें नमन नित,
दोऊ कर करूँ जुहार।