कामिनी
मनहरणघनाक्षरी
कामिनी
यौवन ढलकता है,
सागर छलकता है,
रूप की यह मस्तानी,
जी मत शर्माइए।
नैना काले कजरारे,
दिल लूटे मतवारे,
नैनों की कटार से,
हृदय बचाइए।
अलकों का जाल घेरे,
मुख पर डाले फेरे,
नागिन हो डसती है,
डंक से बचाइए।
गुमसुम मधुबाला,
अधरों पे मधुशाला,
टपके है सोम रस,
जाम भर लाइए।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश