कहो नाम
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कहो तो ये सभ्यता किसकी
सौगंध – सौन्दर्य है अपनी
घर – घर शान है किसकी
मान – सम्मान मातृ धरोहर की
आर्यावर्त भरतखण्ड के
ये संस्कृति है किसकी
मैं हूँ इस राह के पथिक
बिखरा – बिखरा विशेष
तिरंगे के रंग – बिरंगे
इतिवृत्त के महक में
मैं परिन्दे नभ के क्षितिज
अर्पित सुमन में
कर्मभूमि के शहादत
ये नाम कहूं किसकी
मंगल पांडे या गांधी के
कहो नाम
हम भी है
रोड़े थोड़े ही नहीं
है ये है क्या ?
कहते हैं स्मारक छुपी
पर सभ्यता कहाँ
पर मैं नहीं
ये तिरंगे की शान