कहे वो ‘वाह’ जिसको यार प्यारा है
1222 + 1222 + 1222
कहे वो ‘वाह’ जिसको यार प्यारा है
भरे वो ‘आह’ जिसका प्यार खारा है
किसी का आज कोई यार रूठा फिर
दुआ में माँगने दो चाँद न्यारा है
पलक हरगिज नहीं, झपकाइयेगा अब
किसी की आँख का कोई सितारा है
ज़रा आँखों में अपनी, झाँकने दो फिर
नज़र भर देख लूँ, दिलकश नज़ारा है
गिला तुमसे नहीं, शिकवा करूँ रब से
मुझे तक़दीर ने, क्या खूब मारा है
क़सम से जान भी अब मांग लो साहब
मिरा क्या है, यहाँ सब कुछ तुम्हारा है
मिले हो आप जबसे हर ख़ुशी पाई
महब्बत में मुक़ददर फिर सँवारा है